Bangladeshi प्रधानमंत्री Sheikh Hasina का 15 साल का शासन खत्म हो चुका है भारी विरोध के बाद उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा देकर अपना देश भी छोड़ दिया है फिलहाल वह भारत पहुंच रही हैं Sheikh Hasina इस्तीफा देने के बाद सेना प्रमुख ने अंतिम सरकार बनवाने का ऐलान भी कर दिया है
Sheikh Hasina
बांग्लादेश में तख्ता पलट हो गया है और वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया स्पीच चर्चा इस बात की होने लगी है कि जिस तरीके से Sheikh Hasina ताकता पलट का शिकार हुई ठीक उसी तरीके से शेख हसीना के पिता को भी तख्ता पलट का शिकार होना पड़ा था
1975, Sheikh Mujibur Rahman
साल 1975 में शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे और सेना में उनके खिलाफ काफी असंतोष थ जिसका नतीजा यह हुआ की 15 अगस्त 1975 को सेना की कुछ टुकड़ियों ने ढाका में उनके खिलाफ ऑपरेशन चलाया और यह तय हुआ कि उन्हें पकड़कर उन्हें जान से मार दिया जाएगा उसे समय शेख मुजीबुर रहमान के ढाका में तीन घर थे और तीनों घरों पर सेना ने तब कार्रवाई की
सबसे पहले शेख मुजीबुर रहमान के रिश्तेदार जिनका नाम अब्दुल रब सिरानी बात था उनके घर पर हमला किया जो शेख मुजीबुर रहमान की सरकार में मंत्री भी थे और बांग्लादेश की सेना ने उन्हें गोली मार कर उनकी हत्या कर दी
इसके बाद सेना की दूसरी टुकड़े ने शेख मुजीबुर रहमान के घर पर हमला किया उसे समय उनके जो पर्सनल असिस्टेंट थे उन्होंने पुलिस को कई बार फोन किया लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली इस दौरान सेना उनके घर में घुस गई और सबसे पहले उनके बेटे शेख कमल को गोली मारी गई जो सीढ़ियों पर खड़े थे उसके बाद से कमल की पत्नी उनके छोटे बेटे शेख जमाल उनकी पत्नी बाद में शेख मुजीब को भी गोली मार दी गई
इस दौरान शेख मुजीबुर रहमान के छोटे बेटे नासिर ने सेना से गुहार लगाई और कहा कि वह राजनीति में नहीं है लेकिन इसके बावजूद उन्हें बक्सा नहीं गया और सेना के जवानों ने उन्हें गोली मार दी शेख मुजीब के सबसे छोटे बेटे रसाल उसे समय सिर्फ 10 साल के थे लेकिन सेना उन्हें भी गोलियों से खून डाला और इस तरीके से बांग्लादेशी सेना Sheikh Hasina के पूरे परिवार को एक-एक करके सबको मार डाला
सब कुछ हो रहा था तब सेना की एक और टुकड़ी फजलुल हक मोनी के घर पहुंची थी जो शेख मुजीबपुर रहमान के भतीजे थे सेना उन्हें और उनके परिवार को भी बड़ी बेरहमी से मार दिया मार के लोगों में फजलुल हक मोनी की पत्नी भी शामिल थी जो उसे समय गर्भवती थी लेकिन उन्हें भी सेना ने नहीं छोड़ा इस तरीके से रात भर में शेख मुजीब और रहमान और उनके पूरे परिवार को एक-एक करके सबको मार दिया गया
हालांकि इस मामले में उनकी बेटी Sheikh Hasina और छोटी बेटी शेख रिहाना की जान बच गई क्योंकि वह उसे समय जर्मनी में रह रही थी इसके बाद भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने उन्हें दिल्ली में शरण दी और वह 6 सालों तक दिल्ली में रही ऐसे में फिर एक बार बांग्लादेश ठीक उसी तरीके के हालातो का सामना कर रहा है माना जा रहा है कि अगर Sheikh Hasina बांग्लादेश छोड़कर नहीं जाती तो उनके साथ कुछ भी हो सकता था बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने शेख हसीना की स्थिति और देश छोड़ने की पुष्टि करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है
सेना प्रमुख ने कहा कि हमने आज सभी पार्टी और नेताओं के साथ बातचीत की है उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में सेना अंतरिम सरकार बनाएगी